top of page

कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष मुसाफिर की चेतावनी,25 तक नहीं बदला टिकट तो समर्थकों सहित देंगे इस्तीफा

  • KAVI RAJ CHAUHAN
  • Oct 22, 2022
  • 2 min read

कविराज चौहान. शिमला

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के जिला कार्यकारी अध्यक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता जीआर मुसाफिर का टिकट कटने के बाद उनके समर्थकों में भारी रोष है। टिकट न मिलने पर रोष जताते हुए मुसाफिर ने अपने समर्थकों के साथ पार्टी छोडऩे का आलाकमान को अल्टीमेटम भेजा है। शनिवार को राजगढ़ में समर्थकों के साथ मुसाफिर ने घोषणा की है कि यदि पार्टी ने 25 अक्टूबर तक पच्छाद का टिकट नहीं बदला तो वह निर्दलीय चुनाव लडऩे के लिए मजबूर होंगे।

उन्होंने कांग्रेस से जुड़े सभी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के साथ यह मांग पूरी न होने पर इस्तीफा देने का भी ऐलान किया है। बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह उनका निजी फैसला नहीं है। समर्थकों के कहने पर उन्होंने चुनाव लडऩे के लिए हामी भरी है।

दयाल प्यारी को मिला पच्छाद कांग्रेस का टिकट

बता दें कि इस बार पार्टी ने पच्छाद सीट से दयाल प्यारी को उम्मीदवार बनाया है। 1982 के बाद गंगूराम मुसाफिर एक बार फिर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में हो सकते हंै। मुसाफिर ने विधानसभा चुनावों में सात बार जीत हासिल की है। तीन बार मुसाफिर विधानसभा का चुनाव हारे। वहीं एक बार उन्हें लोकसभा में भी मात मिली। यदि ऐसा होता है तो सिरमौर में कांग्रेस की स्थिति और कमजोर हो जाएगी। जनजातीय क्षेत्र को लेकर सिरमौर में अभी तक भाजपा का अपर हैंड है और यदि कांगे्रस के ये कद्दावर नेता भी आजाद उम्मीदवार के रूप में अपनी किस्मत अजमाने जनता की अदालत में पहुंच जाते हैं तो कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। यदि ऐसा होता है तो मुसाफिर की राजनीति का आरंभ भी 1982 में आजाद उम्मीदवार के रूप में हुआ था। उनका चुनाव निशान तराजु था और इस बार भी वह अब आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनावी ताल ठोक सकते हैं।

नेता पच्छाद में.....

दाना खाद में और नेता पच्छाद में। यह कहावत बहुत पुरानी है। सिरमौर की राजनीति की धुरी हमेशा ही पच्छाद से होकर ही गुजरती है। हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार के बाद गंगूराम मुसाफिर का भी तीन दशकों तक न सिर्फ सिरमौर बल्कि प्रदेश की राजनीति में बड़ा कद रहा है। वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद सुरेश कश्यप भी पच्छाद से हैं। ऐसे में पच्छाद की राजनीति का सीधा असर प्रदेश की राजनीति पर पड़ता है।


Comentarios


bottom of page