सोलन के कई क्षेत्रों में नहीं हो पाई गेंहू की बिजाई
- फलदार पौधों पर भी कहर बरपा रहा है कोहरा
द शिरगुल टाइम्स. सोलन
सोलन जिला में पड़ रहा कोहरा गेंहू व फलदार पौधों पर कहर बरपा सकता है। ड्राई स्पेल के कारण तापमान में आ रही लगातार गिरावट व वर्षा न होने के कारण इन दिनों सोलन जिला में कोहरा पड़ रहा है। पिछले करीब डेढ़ माह से वर्षा न होने से किसानों व बागबानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आने लगी है। सोलन जिले में इन दिनों मटर की ऑफ सीजनल फसल होती है। वर्षा न होने से फसल पर कोहरे व सूखे की मार पड़ रही है। किसानों को डर है कि यदि आने वाले वाले कुछ दिनों में बारिश नहीं हुई तो उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। लंबे ड्राई स्पेल के कारण बागबान सूखे के डर से अभी नए पौधे लगने से कतरा रहे हैं। किसान-बागबानों को जलस्रोतों के घटते जलस्तर की भी चिंता सता रही है।
पाले से पीली पडऩे लगी गेंहू की फसल
सोलन जिला में पांच फीसदी क्षेत्र अभी भी ऐसा है जहां बारिश न होने के कारण गेंहू की बुआई नहीं हो पाई। ऐसे क्षेत्रों के लिए कृषि विभाग ने गेंहू की लेट वैरायटी ही लगाने की सलाह दी है। इसके अलावा जिला में लगाई गई गेहूं की फसल बिना बारिश व पाला पडऩे के कारण पीली पडऩे लगी है, जिसके लिए किसान हो सके तो सिंचाई का प्रबंध करें।
21 हजार 300 हैक्टेयर पर लगाई जाती है गेंहू की फसल
जिला सोलन के 21 हजार 300 हेक्टेयर रकबे में रबी की फसलों की बिजाई की जाती हैं। इसमें से करीब 95 फीसदी क्षेत्र में अक्टूबर माह में हुई बारिश व सिंचाई के साथ बिजाई का कार्य पूरा कर लिया है। कुछ असिंचित क्षेत्रों में सूखे खेतों में ही गेहूं की बिजाई की गई है। इसके अलावा पांच फीसदी क्षेत्र ऐसा है जहां अभी तक रबी फसलों की बिजाई नहीं हो पाई है। ऐसे क्षेत्रों में कृषि विभाग लेट वैरायटी बीज डीबीडब्ल्यू-187 बोने की सलाह दे रहा है इस किस्म को दिसंबर से लेकर के जनवरी के तक बोया जा सकता है। जिला सोलन में रबी की फसलों में गेहूं, जौ, मटर, चना, लहसुन व आलू मुख्य रूप से लगाई जाती हैं। जिला सोलन में पिछले करीब डेढ़ माह से सोलन जिला में सूखे की स्थिति बनी हुई है। इससे यहां के नालागढ़, अर्की, कसौली, कंडाघाट व सोलन में फसलें सूखे की मार झेल रही हैं।
क्या कहना है विशेषज्ञों का
डॉ. वाईएस परमार यूनिवर्सिटी नौणी के पर्यावरण विज्ञान विभाग के एचओडी डॉ. सतीश भारद्वाज ने बताया कि नवंबर माह में 11.5 सामान्य बारिश है,जबकि सोलन में महज 6.4 एमएम ही बारिश हुई। इसी प्रकार दिसंबर माह में 31 से 32 एमएम बारिश सामान्य है, जबिक 0.6 एमएम ही बारिश हुई, जो न के बराबर है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि सिंचित क्षेत्रों में बिजाई से 20-25 दिन बाद सिंचाई का प्रबंध करें व खेतों में यूरिया की पहली मात्रा मृदा स्वास्थ्य कार्ड में दी गई सिफारिश के मुताबिक प्रयोग करें। इसके अलावा असिंचित क्षेत्रों में बारिश के बाद ही यूरिया खाद डालें।
कब पड़ता है पाला...
विशेषज्ञों का कहना है कि जब आसमान साफ हो, हवा नहीं चल रही हो और तापमान 4 डिग्री से कम हो, उस रात पाला पड़ता है। उन्होंने बागबानों को सलाह दी है कि वह अपने बगीचे के आसपास धुंआ करें और पौधों को नियमित रूप हल्की-हल्की सिंचाई करें। उन्होंने सलाह दी है कि छोटे पौधों को घास-फूस से ढंकें, लेकिन दक्षिण-पूर्वी दिशा को खुला रखें ताकि पौधों को धूप भी मिलती रहे।
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सोलन जिला के पांच फीसदी क्षेत्र में अभी गेंहू की बिजाई का काम बाकि है। उन्होंने किसानों को अब डीबीडब्ल्यू-187 की बिजाई करें। उन्होंने कहा कि सूखे की मार झेल रही फसलों के लिए संभव हो सकें तो सिंचाई का प्रबंध करें। सोलन जिला में इस बार 9 हजार 550 क्विंटल बीज किसानों को उपदान पर दिया है।
-डॉ. सीमा कंसल, जिला कृषि अधिकारी सोलन।
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