मनीष {द शिर्गुल टाइम्स बिलासपुर}
विश्व मत्स्यकी दिवस 2022 के अवसर पर भारत सरकार और राष्ट्रीय मत्स्यकी विकास बोर्ड हैदराबाद द्वारा स्वामी विवेकानंद ऑडिटोरियम दमन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें पिछले 3 वर्षों 2019-20 से 2021-22 के दौरान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों को पुरस्कृत किया गया। जिसमें हिमाचल प्रदेश को पहाड़ी राज्यों एवं उत्तर पूर्वी राज्यों की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार दिया गया। प्रदेश की ओर से राज्य के मत्स्य विभाग के निदेशक सतपाल मेहता ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। भारत सरकार के मत्स्य विभाग के सचिव जितेंद्र नाथ स्वैन द्वारा हिमाचल प्रदेश को 10 लाख की वित्तीय प्रोत्साहन राशि शॉल व समृति समृति चिन्ह भेंट किया गया।
निदेशक सतपाल मेहता ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में मत्स्य पालन और इससे जुड़ी योजनाओं को लोगों तक सफलतापूर्वक पहुंचाने में हर संभव प्रयास किया है । जिसके परिणामस्वरूप पिछले वित्त वर्ष के दौरान प्रदेश में 16015.81 टन मछली का उत्पादन किया गया और 233.56 लाख रुपए मूल्य आंकी गई जबकि वित्त वर्ष 2019 20 के दौरान 15288.60 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन किया किया गया और लगभग 184.44 लाख रुपए मूल्य आंकी गई । उन्होंने बताया कि शीत जल मत्स्यकी के अंतर्गत हिमाचल में मुख्यतः ट्राउट मछली का 927 मीट्रिक टन उत्पादन किया गया और 51 करोड़ रूपए की मछली की बिक्री की गई। इसके अतिरिक्त प्रदेश में कॉर्प सीड प्रोडक्शन लगभग 1035.00 लाख किया गया और ट्राउट सीड प्रोडक्शन 25.35 लाख किया गया।
उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में लगभग 14544 लोग सीधे मत्स्य पालन से जुड़े हैं जिसके अंतर्गत नदियों में मछली पकड़ने वाले मछुआरों की संख्या लगभग 5278 और नदियों पर निर्मित बांधों में मछली पकड़ने वाले मछुआरे 6146 है। हिमाचल प्रदेश में कार्प किस्म की मछली उत्पादकों की संख्या 2454 और प्राइवेट ट्राउट मछली उत्पादकों की संख्या 666 है।
उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में मंडी के अलसु, बिलासपुर के देवली, कांगड़ा, चंबा के सुल्तानपुर, सोलन के नालागढ़, ऊना के गगरेट, महाशीर फॉर्म मंडी के मछियाल, सिरमौर में मछली की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए 7 जिलों में कॉर्प फार्म स्थापित किए गए हैं ।
Comments